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जिक्रे शहादत कार्यक्रम का किया गया आयोजन

Bihar 29-Jul-2023   10216
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बिहारशरीफ : शनिवार को बड़ी पहाड़ी स्थित इमामबाड़ा में जिक्रे शहादत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ज़िक्र शहादत के कार्यक्रम में हजरत इमाम हुसैन की जीवनी पर पूरी तरह प्रकाश डाला गया और जिक्रे शहादत में शामिल हुए तमाम व्यक्तियों से संबोधित करते हुए कहा कि हजरत हुसैन हक के लिए अपने सर को कटा दे ना कबूल समझा लेकिन सर को झुकाना कबूल नहीं समझा। दरअसल हुसैन हक की बात को जनता के बीच में पहुंचाना चाह रहे थे लेकिन यजीद ने उसे पहुंचाने से रोकने का प्रयास किया। हुसैन के नाना जान हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वसल्लम के बताए हुए नेक रास्ते को भटकाने के लिए यजीद ने बहुत तरह के काम को कर रहे थे जिसे हुजूर के नवासे हुसैन को इसे काबिले कबूल नहीं था हुसैन ने कहा कि मजहबे इस्लाम में कोई फेरबदल कबूल नहीं है। लेकिन यजीद धार्मिक ग्रंथों से लेकर विभिन्न जगहों पर हुसैन के नाना के बताए हुए और ईश्वर के द्वारा दिए गए संदेश में काफी फेरबदल की प्रयास करते रहे इसी को लेकर हुसैन ने कुफा शहर पहुंचकर यजिद को समझाने का प्रयास किया लेकिन यजिद नहीं माना और हुसैन के खिलाफ जंग का ऐलान करते हुए कूफा शहर के चारों तरफ घेराबंदी कर दी पानी से लेकर खाने पीने के सामान सभी चीजों पर नाकेबंदी लगा दी और कर्बला के मैदान में जंग करने की घोषणा कर दी। हजरत हुसैन ने भी हिम्मत नहीं हारी और हक की लड़ाई के लिए करवला में जंग करने के लिए तैयार हो गए जबकि यजीद के साथ हजारों हजार की संख्या में फ़ौज थे लेकिन हजरत हुसैन के साथ छोटे बड़े बच्चे को लेकर कुल 72 की संख्या में कर्बला के मैदान में जंग के लिए मौजूद थे। आज हम लोग जो जिक्र शहादत हुसैन मना रहे हैं उसका असल मकसद यही है कि हक की लड़ाई के लिए अपनी गर्दन काटा दें लेकिन गद्दारों के सामने अपनी सर को नहीं क्षूक आएं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सच्ची जिक्र शहादत वही होगी कि हजरत हुसैन के बताए हुए रास्ते पर चलकर हम दीन और दुनिया में सफलता पा सकते हैं जिस तरह हुसैन ने हक की लड़ाई में अपनी जान की कुर्बानी लगा दी उसी तरह हम भी हक ईमानदारी और इंसाफ गरीबों की सेवा कि काम में बढ़-चढ़कर भाग ले यही सच्ची हजरत हुसैन को श्रद्धांजलि होगी।

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