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पद्मश्री कपिल देव प्रसाद प्रेरणा स्रोत है और ये हमारे असली धरोहर हैं : भवानी सिंह

Bihar 17-Aug-2023   10112
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बिहारशरीफ : जदयू जिला महासचिव भवानी सिंह गुरुवार को नालंदा जिले के नाम को स्वर्णिम अक्षरों में लिखने वाले बावन बूटी के बुनकर के रूप में काम करने वाले पद्मश्री कपिल देव प्रसाद से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएं दिए। इस दौरान श्री सिंह बावन बूटी से बनने वाले कपड़ो को भी देखा साथ ही कपड़ो के निर्माण के पीछे के मेहनत को देखा और समझा। आपको बता दे की बुनकर के रूप में काम कर रहे अपनी अलग पहचान बनाने वाले बिहार के नालंदा जिले के कपिलदेव प्रसाद को जब राष्ट्रपति भवन में सम्मानित करने के लिए बुलाया गया था तो वे बड़े ही सादगी भरे अंदाज में पद्मश्री अवार्ड लेने पहुंचे थे. उन्होंने कुर्ता-पजामा पहन रखा था, पैरों में हवाई चप्पल थी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जब कपिल देव प्रसाद को पुरस्कार दे रही थीं तो उनकी सादगी देखते ही बन रही थी ।कपिल देव प्रसाद को पद्मश्री पुरस्कार मिलने से नालन्दा के बिहार शरीफ स्थित बसावन बिगहा की बुनकरी की चर्चा अब हर जगह होने लगी है. कपिलदेव ने बताया कि जब वे 15 साल के थे तब से बुनकरी को जीविकोपार्जन का साधन बनाया. कपिलदेव का कहना है कि बुजुर्ग हो गया हूं तो बेटा सुरुज देव की मदद मिलती है. कपिल देव प्रसाद आज करीब 55 सालों से यह काम करते आ रहे हैं. 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में खूबसूरत कलाकृति बनाने के लिए देश के 31 बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया. इनमें नालंदा के कपिलदेव प्रसाद बिहार को गौरव दिलाने वाले एकमात्र बुनकर हैं. कपिलदेव प्रसाद अभी भी खुद बुनकारी का काम करते हैं और साथ ही लोगों को बुनकारी की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.कपिल देव प्रसाद ने 70 के दशक को याद करते हुए बताया कि उस समय बिहारशरीफ स्थित नवरत्न महल में सरकारी बुनकर स्कूल चलता था. यह स्कूल हाफ टाइम तक चलता था. यहां नियमित पढ़ाई जारी रखते हुए बच्चे बुनकारी का गुरसिख जाते थे. 1963 से 65 तक यही बुनकारी कपिल देव प्रसाद ने सीखी. भवानी सिंह ने मुलाकात के दौरान कहा कि कपिल देव प्रसाद जी को पद्मश्री का सम्मान मिलने से पूरे नालंदा जिला का नाम एक बार फिर से सुनहरे अक्षरों में लिखा जा चुका है। इनके जैसे लोग ही हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है और यही हमारे असली धरोहर हैं। आज के समय में हर किसी को इनसे सीखने की आवश्यकता है।

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