Shopping cart

Subtotal: $4398.00

View cart Checkout

Tanishq
Trending News

अजब बिहार में गजब खेला...पीटी टीचर बना केमिस्ट्री का परीक्षक...संस्कृत गुरु ने जांची हिंदी की कॉपी

Blog Image
221

बिहारशरीफ : बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है, लेकिन इस बार जो कारनामा सामने आया है, वह सुनकर किसी के भी होश उड़ सकते हैं। शिक्षा के नाम पर यहां ऐसा खेला हुआ कि खुद शिक्षक भी कंफ्यूज हो गए कि वे क्या पढ़ाते हैं और क्या जांच रहे हैं!

पीटी टीचर के हाथ में साइंस की कॉपी!

नालंदा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शारीरिक शिक्षक (पीटी टीचर) को बिहार बोर्ड ने केमिस्ट्री की कॉपियां जांचने का आदेश थमा दिया। धर्मेंद्र कुमार, जो कि स्कूल में छात्रों को दौड़-भाग, व्यायाम और खेल-कूद सिखाते हैं, उन्हें जब पता चला कि उन्हें विज्ञान विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना है, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। धर्मेंद्र कुमार ने बोर्ड अधिकारियों से जब इस नियुक्ति के बारे में पूछा, तो पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि कोई पीटी टीचर साइंस की कॉपियां कैसे चेक कर सकता है। लेकिन जब उन्होंने अपनी नियुक्ति पत्र को ध्यान से पढ़ा, तो मामला साफ हो गया कि यह गलती उनकी नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की थी।

संस्कृत शिक्षक से हिंदी की जांच!

यह अजब-गजब कारनामा यहीं नहीं रुका। एक संस्कृत शिक्षक को हिंदी विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने का जिम्मा सौंप दिया गया। अब सोचिए, जो शिक्षक पूरे दिन संस्कृत के श्लोकों में डूबे रहते हैं, उन्हें हिंदी व्याकरण और निबंधों की जांच करने के लिए बैठा दिया गया।

तकनीकी खराबी या घोर लापरवाही?

बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि यह गलती तकनीकी खराबी की वजह से हुई, क्योंकि शिक्षक डायरेक्टरी अपडेट नहीं हो पाई थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब गलती हो गई, तो इसे सुधारा क्यों नहीं गया? आखिर छात्रों के भविष्य का सवाल है, कोई खेल-कूद का मामला तो है नहीं!

छात्र और अभिभावकों में नाराजगी

इस पूरे मामले से छात्रों और अभिभावकों में जबरदस्त गुस्सा है। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्र पहले ही दबाव में रहते हैं, ऊपर से अगर उनकी कॉपियां ऐसे शिक्षक जांचेंगे, जो उस विषय में विशेषज्ञ नहीं हैं, तो उनके भविष्य का क्या होगा?

बिहार बोर्ड पर उठे सवाल

बिहार बोर्ड पहले भी कई बार अपनी लापरवाहियों को लेकर चर्चा में रहा है। कभी गलत मार्कशीट जारी हो जाती है, तो कभी छात्रों के अंक ग़लत दर्ज हो जाते हैं। लेकिन इस बार तो हद ही हो गई! अब सवाल यह है कि क्या इस गलती को सुधारने के लिए कोई कदम उठाया जाएगा, या फिर शिक्षा व्यवस्था ऐसे ही 'गजब खेला' करती रहेगी?

Raymond

Related Post