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नालंदा में सिर्फ कंबल बांटने और फोटो खिंचवाने की परंपरा से दूर होती है ठंड.....फिर ठंड बढ़ते ही स्कूलें क्यों हो जाती है बंद ?

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बिहारशरीफ : कड़ाके की ठंड में बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन की स्थिति यात्रियों के लिए मुसीबत बनी हुई है। न तो प्लेटफॉर्म पर अलाव की व्यवस्था है और न ही कोई उचित वेटिंग रूम। ऐसे में यात्री खुले में सिकुड़कर ट्रेन का इंतजार करने को मजबूर हैं। ऐसे में बढ़ते ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा 18 जनवरी तक कक्षा 5 तक की स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है।

कथित समाजसेवी, नेता और जनप्रतिनिधि द्वारा कंबल बांटने से मिलती है ठंड से राहत....फिर असहायों को छत की क्या जरूरत ?

इन दिनों जिलेभर में ठंड के मौसम में कंबल बांटना एक परम्परा बन चुका है। कथित समाजसेवी, कथित नेता और जनप्रतिनिधि लगातार कंबल बांट कर फोटो खिंचवा कर ठंड खत्म करने के रामबाण परंपरा को निभाने में लगे है लेकिन वैसे लोग जिनके ऊपर छत नहीं है उनके लिए पुख्ते इंतजाम नहीं किया जा रहा है।

स्टेशन के आसपास नहीं है कोई रैन बसेरा 

स्टेशन के आसपास न तो कोई रैन बसेरा है और न ही धर्मशाला, जहां यात्री ठंड से राहत पा सकें। रात की ट्रेनों का इंतजार करने वाले यात्रियों को विशेष परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई यात्री प्लेटफॉर्म पर ही अपना सामान लेकर बैठे नजर आते हैं। रेलवे स्टेशन परिसर में दो मासूम के साथ फर्श पर बैठी एक भिक्षुक महिला ने अपने पीड़ा बताते हुए कहा कि हम लोग के लिए कोई व्यवस्था नहीं है तकरीबन 6 महीने से अपने दो बच्चों के साथ यही जीवन व्यतीत कर रही हूं। कुछ दिन पूर्व दो व्यक्ति आए थे महलपर स्थित रैन बसेरा में लेकर गए थे लेकिन वहां से भी दो दिन बाद ये बोल कर निकाल दिया गया हमे की जहां जाना है जाओ यहां रोज रोज खाना पीना नहीं दें सकेगें। 

पीड़ित की पीड़ा सुनने के लिए कैमरा लेकर क्यों नहीं जाते कंबल बांटने वाले फोटोजेनिक लोग

अब जहां इस ठंड में दो मासूम के साथ ज़िंदगी स्टेशन पर काट रही महिला भिक्षा मांग कर दो बच्चों को पाल रही है। ऐसे मामले जिलेभर में सैकड़ों होंगे तो ये फोटोजेनिक लोग कभी इनकी पीड़ा सुनकर क्यों नहीं कंबल के जगह एक मजबूत और पुख्ता इंतजाम करते है। 

बिना फोटो खिंचवाए एक अधिकारी ने असहाय को दिया आश्रय

इन फोटोजेनिक लोगों को नगर आयुक्त बिहारशरीफ दीपक कुमार मिश्रा जैसे अधिकारी से सबक लेना चाहिए जिन्होंने फोटो नहीं खिंचवाया, कंबल नहीं बांटा लेकिन दो मासूम और उसकी मां को स्टेशन पर जिंदगी काट रही थी उन्हें ऐसी जगह पहुंचाया जहां खाना पीना के साथ उन्हें आश्रय दिया गया। 

कोचिंग संस्थान चालू, कई निजी स्कूलों का भी होता है संचालन फिर ठंड का हवाला देकर स्कूल बंद क्यों ?

बढ़ते ठंड को मद्देनजर जिला प्रशासन ने जिलेभर के स्कूलों में कक्षा 5 तक के पठन पाठन पर 18 जनवरी तक रोक लगा दिया है। लेकिन सुबह 6 बजे से देर शाम तक छोटे बड़े सभी बच्चों के निजी कोचिंग संस्थान चलता है, कई निजी स्कूल भी संचालित होता है, निजी कोचिंग द्वारा नाबालिग से 50 रुपए रोजाना पर उनसे श्रम कार्य करवाया जाता है लेकिन जिला प्रशासन का ध्यान कभी ऐसे नियमों के उल्लंघन करने वालों पर नहीं जाता है। 

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