Biharsharif : यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए स्थापित किया गया जिला मुख्यालय का यातायात थाना आज आम नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। थाने की स्थापना का मूल उद्देश्य शहर की सड़कों को जाम मुक्त करना और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाना था, लेकिन वर्तमान में यह केवल दुपहिया वाहन चालकों को प्रताड़ित करने का केंद्र बन कर रह गया है। शहर के प्रमुख चौराहों पर तैनात यातायात पुलिसकर्मी ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के बजाय दुपहिया वाहन चालकों की तस्वीरें खींचने और चालान भेजने में व्यस्त रहते हैं। हेलमेट, तीन सवारी और प्रदूषण प्रमाणपत्र के नाम पर की जा रही कार्रवाई ने मध्यम वर्ग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर दुपहिया वाहन चालकों पर कड़ी नजर रखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर ओवरलोड बसें, जुगाड़ू वाहन और बिना परमिट के चलने वाले ट्रैक्टर बेखौफ घूम रहे हैं। बिहारशरीफ से पश्चिम बंगाल और झारखंड जाने वाली बसें छत पर भारी सामान लादकर सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ा रही हैं। इन बसों के माध्यम से सरकारी गेहूं की तस्करी भी की जा रही है, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। शहर में चल रहे जुगाड़ू वाहन (झाझरिया) सौ मोटरसाइकिलों के बराबर प्रदूषण फैला रहे हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। इसी तरह सुबह के समय बालू और गिट्टी से लदे ट्रैक्टर बेलगाम गति से दौड़ते हैं, जो दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यातायात थाने की स्थापना के बाद भी ट्रैफिक की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। उल्टे मध्यम वर्गीय लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन से मांग है कि सभी वाहनों पर समान कार्रवाई की जाए और यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।