Nalanda : 16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत हो रही है। इस कारण एक माह तक सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। इस दौरान शादी- विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ काम नहीं किए जाएंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तो यह समय शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। आचार्य पप्पू पांडेय ने बताया कि 16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ खरमास शुरू हो जाएगा। 14 जनवरी को मकर संक्रांति तक खरमास रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस समय को मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। क्योंकि, सूर्य की स्थिति कमजोर होती है। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है, और जब वह अपनी स्थिति बदलकर धनु राशि में प्रवेश करता है, तो इस अवधि को धार्मिक दृष्टि से शुभ नहीं समझा जाता है।
मांगलिक कार्यों पर लगा रहा पूरी तरह से विराम
खरमास के दौरान शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार और अन्य शुभ काम पूरी तरह से वर्जित हो जाते हैं। इन दिनों शहनाई की गूंज थम जाएगी और बैंड-बाजों की रौनक गायब हो जाएगी। हालांकि, इस अवधि में धार्मिक अनुष्ठान और दान-पुण्य को अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
खरमास का महत्व
धर्म शास्त्रों के अनुसार खरमास के दौरान इस समय शुभ काम करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त नहीं होती। इस अवधि में लोग भगवान की पूजा, दान-पुण्य और साधना पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि खरमास धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दौरान गंगा स्नान, विष्णु भगवान की पूजा और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
मकर संक्रांति के बाद फिर गुंजेंगीं शहनाइयां
15 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त होगा। इसके बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, जिसे शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के बाद 16 जनवरी से शादी-विवाह और अन्य शुभ कार्यों का सिलसिला फिर से शुरू होगा। खरमास के दौरान किसी भी मांगलिक काम से बचना चाहिए। इस समय केवल धार्मिक कार्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मकर संक्रांति के बाद शुभ समय फिर से आरंभ होगा और नए साल में कई शुभ मुहूर्त मिलेंगे। खरमास के दौरान भले ही मांगलिक काम पर रोक हो, लेकिन दान- पुण्य और पूजा-पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस एक महीने के ब्रेक के बाद फिर से विवाह का सिलसिला नए साल में नई ऊर्जा और उत्साह के साथ शुरू होगा। 15 जनवरी 2025 के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत के साथ नए साल में उत्साह और उमंग की नई लहर देखने को मिलेगी। इसके बाद से फिर शहनाइयां गुंजनें लगेंगी।