Nalanda : जिला के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सामुदायिक अस्पताल के तौर पर अपग्रेड किया जा रहा है। जहां 30 बेड की व्यवस्था के साथ ही स्त्री रोग विशेषज्ञों की तैनाती की जानी है। आठ अस्पताल तो सामुदायिक के तौर पर अपग्रेड हो चुके हैं। बावजूद महज सदर समेत पांच अस्पतालों में ही सीजेरियन प्रसव के लिए महिला चिकित्सक की तैनाती है। वहीं अन्य अस्पतालों में सिर्फ सामान्य प्रसव व माइनर ओटी की ही व्यवस्था है।
जीएनएम के भरोसे ही कराया जाता है प्रसव
हद तो यह कि सरमेरा, करायपरसुराय, थरथरी, सिलाव, नूरसराय, बिंद समेत छह अस्पतालों में महिला चिकित्सक तक नहीं हैं। इन छह अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का जीएनएम के भरोसे ही सामान्य प्रसव कराया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने बताया कि सदर में छह, हिलसा में दो, राजगीर, चंडी व कल्याणबिगहा रेफरल अस्पताल में एक एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती है। राजगीर, चंडी व कल्याणबिगहा में रोजाना औसतन दो से तीन प्रसव होता है। वहीं सदर में रोजाना औसतन 12 प्रसव होते हैं। अन्य अस्पतालों में भी सीजेरियन प्रसव के लिए महिला चिकित्सक समेत अन्य सुविधाएं बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है। चंडी व कल्याणबिगहा में इसके लिए ब्लड स्टोरेज युनिट खुल चुका है। जबकि, अस्थावां में इसे जल्द ही खोला जाएगा।
नवजात के लिए एसएनसीयू की भी व्यवस्था
प्रसव के बाद जच्चा बच्चा की बेहतर देखभाल की व्यवस्था है। कम वजन वाले या अन्य कमजोर नवजातों की देखभाल के लिए 18 बेड का एसएनसीयू वार्ड भी है। यहां आवश्यकता के अनुसार 14 से 16 दिनों तक उनके स्वास्थ्य की गहन देखरेख व इलाज की जाती है।
सीजेरियन प्रसव के लिए तीन वार्ड में व्यवस्था
सीजेरियन प्रसव वाली महिलाओं के उचित देखभाल के लिए तीन वार्ड में बेहतर व्यवस्था की गयी है। वहां इसके लिए जीएनएम समेत अन्य कर्मी तैनात रहती हैं, जो उनकी सात दिनों तक दवा से लेकर हर तरह की सेवा करती हैं। साथ ही ममता स्तनपान व बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें जागरूक करती हैं। ताकि, आगे जाकर किसी तरह की परेशानी न हो।