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राजगीर महोत्सव के सफल कार्यक्रम में क्या हुआ ऐसा की टूट गई सैकड़ों कुर्सियां....वॉच टावर पर पुलिस की जगह दिखे बच्चे और अधिकारियों के गाड़ी पर हुआ कदमताल.....जानिए पूरा मामला

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Nalanda : राजगीर महोत्सव में जुबिन नौटियाल के कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खुल गई। भव्य आयोजन के पीछे छिपी अव्यवस्था तब सामने आई जब भारी भीड़ के कारण सैकड़ों कुर्सियां टूट गईं और आम दर्शकों को पुलिस की दबंगई का सामना करना पड़ा।



दर्शकों के लिए तानाशाही और अधिकारियों के परिवार के लिए राजशाही

कार्यक्रम स्थल पर दोहरे मापदंड साफ नजर आए। जहां एक तरफ प्रवेश पत्र धारक आम दर्शकों को पुलिस के धक्कों का शिकार होना पड़ा, वहीं वीवीआईपी कोटे की कुर्सियों पर अधिकारी और उनके परिवारजन राजसी अंदाज में कार्यक्रम का आनंद लेते दिखे। आलम ये था कि सभी अधिकारियों के लिए कुर्सियों को रिजर्व कर दिया गया था। अब सरकारी पैसों से पब्लिक के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधिकारी मौज काट रहे है।

अधिकारियों के गाड़ियों पर हुआ दर्शकों का कदमताल


भीड़ प्रबंधन की विफलता के कारण कई दर्शक अपने पसंदीदा गायक की एक झलक पाने के लिए अधिकारियों की गाड़ियों और यहां तक कि खंभों पर भी चढ़ गए। सुरक्षा व्यवस्था की लापरवाही का आलम यह था कि वॉच टावर, जहां सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होनी चाहिए थी, वहां बच्चे उछल-कूद करते नजर आए।


दर्शकों ने जिला प्रशासन से दिखाई नाराजगी

कार्यक्रम में शामिल होने आए दर्शकों का कहना था कि जिला प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट दिखाई दी। प्रवेश पत्र होने के बावजूद न तो बैठने की व्यवस्था थी और न ही सुरक्षा की कोई गारंटी। विशेष रूप से आम जनता के लिए सभी नियम-कानून और प्रोटोकॉल लागू थे, जबकि अधिकारियों के परिवारजनों के लिए कोई नियम नहीं था।

प्रशासन ने भीड़ के मद्देनजर खुले मैदान में बड़े स्क्रीन की व्यवस्था की थी

हालांकि प्रशासन ने बाहर खड़े दर्शकों के लिए बड़े स्क्रीन की व्यवस्था की थी, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को निराश होकर वापस लौटना पड़ा। कार्यक्रम को देखने के लिए आस-पास के कई जिलों से लोग दिन में ही राजगीर पहुंच गए थे, लेकिन खराब प्रबंधन के कारण कई लोगों को प्रवेश नहीं मिल सका। इस दृश्य ने एक बार फिर बड़े आयोजनों में प्रशासनिक व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों को उजागर कर दिया है, जहां आम जनता को असुविधा का सामना करना पड़ता है, जबकि वीवीआईपी संस्कृति हावी रहती है।

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