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पटना रेलवे स्टेशन का काला सच : राजधानी के दिल में चल रहा देह व्यापार का अवैध धंधा

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नीतीश कुमार के राज में खुलेआम चल रहा अनैतिक कारोबार : प्रशासन बेखबर

Patna : पटना की सड़कों पर चमकती रोशनी के पीछे छिपा है एक ऐसा अंधेरा जिसकी कल्पना भी आम नागरिक नहीं कर सकता। बिहार की राजधानी पटना, जहां राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद विराजमान है। इसके बावजूद पटना रेलवे स्टेशन के आसपास धड़ल्ले से चल रहा है देह व्यापार का अवैध धंधा।


रेलवे स्टेशन से लेकर होटलों तक फैला दलालों का जाल

आइडियासिटी के पड़ताल में सामने आया है कि पटना रेलवे स्टेशन के गेट नंबर 4 के सामने वाली गली से लेकर प्लेटफॉर्म नंबर 1 तक देह व्यापार के दलालों का पूरा नेटवर्क सक्रिय है। शाम 5 बजे के बाद से युवतियां ग्राहकों की तलाश में स्टेशन परिसर में घूमती नजर आती हैं। स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, यह गंदा धंधा रात भर चलता रहता है और इसे रोकने वाला कोई नहीं है।

मोटी कमाई का खेल, होटलों की मिलीभगत

इस अवैध धंधे में स्थानीय होटलों की भी पूरी मिलीभगत है। सूत्रों के अनुसार, महिलाएं ग्राहकों से 1,500 से 5,000 रुपये तक वसूलती हैं, जिसमें से 500 से 1,000 रुपये होटल के किराये के रूप में जाते हैं। यह अवैध कारोबार पुलिस की नाक के नीचे बिना किसी रोक-टोक के चलता रहता है।

पुलिस की मिलीभगत या लापरवाही?


स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यदि कभी पुलिस द्वारा छापेमारी भी की जाती है, या घूमते हुए पकड़े जाती है तो मात्र 1,000 से 2,000 रुपये रिश्वत देकर, दो मिनट से भी कम समय में, देह व्यापारियों को छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि प्लेटफॉर्म पर देह व्यापार करने वालों का हौसला बुलंद है।

दलदल से निकलने की कोशिश करने वालों का हश्र


रविवार की रात की दिल दहला देने वाली घटना ने इस कुचक्र की असलियत को उजागर कर दिया। एक युवती जब इस दलदल से बाहर निकलकर भागने की कोशिश कर रही थी, तो 3-4 गुर्गों ने उसे स्टेशन से बाहर खींच लिया। उसके बाद देह व्यापार करने वाली महिलाओं और उनके दलालों ने युवती के साथ मारपीट कर उसे फिर से उसी शर्मनाक धंधे में धकेल दिया।

प्रशासनिक विफलता का जीता-जागता उदाहरण

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह पूरा घटनाक्रम स्टेशन के बाहर कुछ मिनटों तक चलता रहा, लेकिन मौके पर कोई भी पुलिस बल नहीं पहुंचा। हालांकि, घटना के 10 मिनट बाद 112 की पुलिस गाड़ी सायरन बजाते हुए वहां से गुजरी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इस प्रकार की घटनाएं सवाल खड़े करती हैं कि क्या वाकई बिहार में कानून का राज है या फिर अपराधियों और देह व्यापारियों का? नीतीश कुमार के शासन में राजधानी के केंद्र में ऐसे अवैध धंधों का खुलेआम चलना प्रशासनिक विफलता का स्पष्ट प्रमाण है।

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