बिहारशरीफ : नगर निगम क्षेत्र के चार प्रमुख सैरातों (अस्थायी सार्वजनिक परिसंपत्तियों) के लिए बुधवार को लगी बोलियों में ठेकेदारों ने अरबों-खरबों नहीं, बल्कि लाखों रुपए दांव पर लगाए। नगर आयुक्त सह अध्यासी पदाधिकारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस खुली डाक प्रक्रिया में बस स्टैंड के लिए सबसे मोटी रकम चुकाई गई। रामचंद्रपुर बस स्टैंड की बंदोबस्ती के लिए सबसे धमाकेदार बोली विजय कुमार (स्व. राम नारायण प्रसाद के पुत्र) ने लगाई। 89,40,100 रुपए की सुरक्षित जमा राशि के मुकाबले उन्होंने 89,50,000 रुपए की उच्चतम बोली लगाकर इस प्रतिष्ठित स्थल का अधिकार हासिल किया। मात्र 10,000 रुपए अधिक की बोली ने उन्हें पूरे बस स्टैंड का "राजा" बना दिया!
ई-रिक्शा पर भी लगा "अच्छा दाम"
टेंपू और ई-रिक्शा परिचालन शुल्क वसूली का अधिकार अरविंद कुमार सिन्हा (स्व. अर्जुन प्रसाद के पुत्र) ने 56,00,000 रुपए की धमाकेदार बोली लगाकर हासिल किया। यह आरक्षित मूल्य 27,69,200 रुपए से दोगुने से भी अधिक रही, जिससे नगर निगम के अधिकारियों के चेहरे खिल उठे।
मघड़ा मेला और मोटरसाइकिल स्टैंड के नए मालिक
मघड़ा मेला की बंदोबस्ती ललित कुमार (हरिहर प्रसाद के पुत्र) ने 18,400 रुपए के आरक्षित मूल्य के मुकाबले 45,000 रुपए की दमदार बोली लगाकर अपने नाम किया, जबकि न्यायालय परिसर के बाहर मोटरसाइकिल स्टैंड की वसूली का अधिकार नितेश कुमार (देवन यादव के पुत्र) ने 3,32,350 रुपए के आरक्षित मूल्य के सामने 5,10,000 रुपए की बोली लगाकर हासिल किया। इस पूरी प्रक्रिया में उपस्थित उप नगर आयुक्त, राजस्व पदाधिकारी और सहायक राजस्व पदाधिकारी ने इस सफल खुली डाक प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त किया। नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी सैरातों की बंदोबस्ती आरक्षित मूल्य से अधिक में हुई है, जिससे निगम को महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होगा। हालांकि, स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अब इन ठेकेदारों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क में भी बढ़ोतरी की संभावना है, क्योंकि उन्हें अपनी मोटी बोलियों की भरपाई करनी होगी। आम जनता के लिए यह देखना बाकी है कि इन सार्वजनिक सुविधाओं का संचालन अब कितनी कुशलता से होगा।
