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सीएम के दौरे के बाद फिर लौट आई शहर की पुरानी तस्वीर : चौराहों पर तैनात पुलिसकर्मी बेपरवाह

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बिहारशरीफ : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हालिया दौरे से पहले जिला प्रशासन ने शहर को सुदृढ़ और व्यवस्थित बनाने के लिए कई प्रयास किए थे। सड़कों को साफ-सुथरा किया गया, अतिक्रमण हटाए गए, और ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किए गए। लेकिन मुख्यमंत्री के जाते ही प्रशासनिक सख्ती भी जैसे हवा हो गई। नतीजतन, एक बार फिर शहर की सड़कों पर जाम का दृश्य आम हो गया है। सबसे अधिक परेशानी मुख्य चौराहों पर देखने को मिल रही है, जहां अतिक्रमण का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। दुकानदारों और फुटपाथ विक्रेताओं ने सड़क किनारे अपना कब्जा जमा लिया है, जिससे वाहनों के सुचारू आवागमन में बाधा उत्पन्न हो रही है। यही नहीं, यातायात नियंत्रण के लिए तैनात पुलिसकर्मी भी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं। कई जगहों पर पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी छोड़ दुकानों में चाय की चुस्कियों में व्यस्त दिखे, तो कुछ आराम फरमाते नजर आए।


नियमों के बोर्ड सिर्फ दिखावा

शहर में यातायात सुधारने के लिए नगर निगम और प्रशासन ने कई जगहों पर ट्रैफिक नियमों से संबंधित बोर्ड लगाए थे। लेकिन अब वे केवल सजावट का सामान बनकर रह गए हैं। लोग बेधड़क ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। हेलमेट न पहनने, गलत दिशा में वाहन चलाने और सिग्नल तोड़ने जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री के दौरे के लिए प्रशासन व्यवस्था सुधार सकता है, तो इसे स्थायी रूप से लागू करने में क्या दिक्कत है?मुख्यमंत्री के आने पर सख्ती दिखती है, लेकिन उनके जाते ही हालात फिर पुराने हो जाते हैं। प्रशासन को दिखावे के बजाय स्थायी समाधान निकालना चाहिए।


आम जनता बेहाल, प्रशासन मौन

शहर के कई इलाकों में रोजाना लगने वाले जाम से आम लोगों को भारी परेशानी हो रही है। ऑफिस जाने वाले कर्मचारी, स्कूल-कॉलेज के छात्र और आम नागरिक घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं। इसके बावजूद, प्रशासनिक अमला मौन साधे बैठा है। अतिक्रमण और ट्रैफिक की समस्या से व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। ग्राहक आने से हिचकते हैं, क्योंकि उन्हें गाड़ियों की पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलती।


कब सुधरेगी व्यवस्था?

यह पहला मौका नहीं है जब प्रशासन की लापरवाही से नालंदा की यातायात व्यवस्था बिगड़ी हो। हर बार किसी बड़े अधिकारी या मंत्री के दौरे के दौरान शहर चमका दिया जाता है, लेकिन कुछ ही दिनों में हालात पहले जैसे हो जाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस समस्या का कोई स्थायी हल निकालेगा, या फिर जनता को इसी बदहाल व्यवस्था में जीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?