व्यापारियों पर अपहरण की साजिश : नालंदा पुलिस की फुर्ती ने झारखंड से अहमदाबाद तक मचाया हड़कंप
अपहरण भंवर के बीच नालंदा पुलिस ने दिखाया पावर
व्यापारियों को बिजनेस डील के बहाने बुलाना, फिर अपहरण कर फिरौती वसूलना—यह सनसनीखेज साजिश हाल के दिनों में झारखंड और गुजरात में सामने आई है। झारखंड के सरायकेला से एक केमिकल व्यवसायी का अपहरण और उसकी नालंदा पुलिस द्वारा दो घंटे में बरामदगी हो, या अहमदाबाद के नरोडा के व्यापारी से 61.87 लाख रुपये की लूट—दोनों घटनाओं में अपराधियों का तरीका और बिहार कनेक्शन एक सवाल खड़ा करता है: क्या यह एक बड़े गिरोह का खेल है?
झारखंड की कहानी : नालंदा पुलिस की फिल्मी कार्रवाई
29 मार्च 2025 को झारखंड के सरायकेला के केमिकल व्यवसायी दीपक कुमार कनौडिया को बाढ़ एनटीपीसी में मीटिंग के बहाने पटना बुलाया गया। पटना पहुंचते ही बिहारशरीफ बाईपास पर उनकी कार रोकी गई, उन्हें जबरन अगवा कर लिया गया और 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई। अपराधियों ने उनका मोबाइल, एटीएम कार्ड और 2,800 रुपये नकद छीने, साथ ही एटीएम से 47,000 रुपये निकाले। धमकियां दी गईं कि पैसे न देने पर जान ले ली जाएगी। लेकिन नालंदा पुलिस ने इस साजिश को नाकाम कर दिया। अपहरण की सूचना मिलते ही सरायकेला पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रेस की, जो बिंद थाना क्षेत्र में मिली। नालंदा पुलिस के तेज तर्रार सदर डीएसपी नुरुल हक और थानाध्यक्ष चंदन कुमार सिंह की टीम ने दो घंटे में घेराबंदी कर दीपक को सकुशल छुड़ा लिया। दो अपहरणकर्ता—जितेंद्र कुमार और गौतम कुमार—पकड़े गए, जिनके पास से देसी कट्टा और कारतूस बरामद हुए। दीपक के भाई मुकेश ने कहा, “नालंदा पुलिस न होती तो मेरा भाई आज जिंदा न होता।”
अहमदाबाद की घटना : लूट और धमकी का खेल
दूसरी ओर बीते 14 फरवरी 2025 को अहमदाबाद के नरोडा के एक व्यापारी के साथ ठीक वैसी ही साजिश हुई। उनकी कंपनी फाउंड्री मटेरियल और केमिकल्स का आयात करती है। कोलकाता में प्रदर्शनी से लौटते ही उन्हें पटना से एक कॉल आया। कॉलर ने कंपनी का प्रोफाइल, GST सर्टिफिकेट और कैंसिल चेक मंगवाया, फिर 15-16 फरवरी की मीटिंग के लिए 14 फरवरी को पटना बुलाया। हवाई अड्डे पर कोई नहीं मिला, और उन्हें टोल प्लाजा तक दूसरी गाड़ी से भेजा गया। वहां से एक शख्स उन्हें “सर्किट हाउस” ले जाने के बहाने 40 किमी दूर एक सुनसान जगह पर ले गया।
वहां पांच लोगों ने उन्हें निर्वस्त्र कर 61.87 लाख रुपये की नकदी, सोने की अंगूठियां और बैंक ट्रांसफर के जरिए लूट लिया। 21 फरवरी को फिर 10 लाख रुपये की मांग की गई, साथ ही बेटे के अपहरण की धमकी दी गई। नरोडा पुलिस ने अज्ञात बिहारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और उगाही का केस दर्ज किया, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
एक ही पैटर्न, अलग-अलग परिणाम
दोनों घटनाओं में समानताएं साफ हैं : बिजनेस डील का झांसा, पटना के रास्ते अपहरण, फिरौती की मांग और बिहार का कनेक्शन। जहां नालंदा पुलिस ने दो घंटे में कार्रवाई कर अपराधियों को पकड़ा, वहीं अहमदाबाद मामले में जांच अभी धीमी है। क्या यह एक संगठित गिरोह है जो देशभर के व्यापारियों को निशाना बना रहा है? पुलिस सूत्रों का मानना है कि बिहार के कुछ इलाके इस तरह के अपराधों का गढ़ बनते जा रहे हैं।
सवाल और सबक
झारखंड की घटना से नालंदा पुलिस ने मिसाल कायम की, लेकिन अहमदाबाद की घटना चेतावनी है कि व्यापारियों को सतर्क रहने की जरूरत है। बिजनेस डील के लिए अनजान कॉल्स पर भरोसा करने से पहले जांच-पड़ताल जरूरी है। साथ ही, पुलिस को अंतरराज्यीय समन्वय बढ़ाकर ऐसे गिरोहों का जाल तोड़ना होगा। फिलहाल, नालंदा की सफलता और अहमदाबाद की चुनौती एक ही सिक्के के दो पहलू हैं—अपराध और उससे लड़ाई की।