BREAKING NEWS
तनिष्क शोरूम में लूट : हीरे और सोने के जेवर लेकर फरार हुए बदमाश...        जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव व इस्लामपुर के पूर्व विधायक राजीव रंजन का निधन : पार्टी में शोक का माहौल...        प्रशासनिक अनदेखी से जिले से विलुप्त हो रहा गांधी के सपनों की खादी...        बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग खारिज...        पेपर लीक पर 10 साल की सजा, एक करोड़ जुर्माना:बिहार सरकार ने तैयार किया नया कानून...        शादीशुदा महिला से जॉब के बदले यौन शोषण : पीड़िता बोली-हॉस्पिटल मालिक ने दो बार गर्भपात करवाया...        धनेश्वर घाट शिव मंदिर में भोलेनाथ का हुआ भव्य श्रृंगार...        फिल्म पुष्पा स्टाइल में झारखंड से बिहार लाया जाता है शराब : चार आरोपित गिरफ्तार...        डाक विभाग आपके घर पहुंचाएगा गंगाजल : सावन में शुरू हुई विशेष सेवा...        नालंदा हार्ट केयर हॉस्पिटल में हुई चोरी...       
post-author
post-author
post-author

राजकीय पुरुषोत्तम मास मेला का कल विधिवत उदघाटन करेंगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

Bihar 18-Jul-2023   9669
post

राजगीर : कल बुधवार को सीएम नीतीश कुमार पौराणिक सरस्वती नदी कुंड घाट पर आयोजित महाआरती समारोह के माध्यम से, राजकीय पुरुषोत्तम मास मेले का विधिवत उदघाटन करेंगे। जिसके लिए सरस्वती नदी कुंड घाट पर बनारस घाट के तर्ज पर प्लेटफार्म बनाया गया है। जिला शासन तथा श्री राजगृह कुंड तीर्थ पुरोहित रक्षार्थ पंडा कमिटी द्वारा इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई है। पंडा कमिटी के सचिव विकास उपाध्याय ने बताया कि बुधवार की संध्या महाआरती का भव्य आयोजन किया गया है। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सीएम नीतीश कुमार शामिल होंगे। वहीं सिमरिया काली घाट के संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री चिदात्मन जी महाराज उर्फ बाबा फलाहारी सहित बनारस के पुजारी और विभिन्न स्थानों से पहुंचे सभी साधु संत इसमें शिरकत करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि सरस्वती नदी कुंड घाट के पूर्वी हिस्से में भगवान शिव की एक प्रतिमा स्थापित की गई है। 

पुरुषोत्तम मास मेला में राजगीर के पौराणिक सरस्वती नदी कुंड सह घाट की पौराणिक महत्व की गाथा वेद पुराणों में है। जिसमें इस नदी की महिमा का बखान है। पुरुषोत्तम मास मेले में यह पाताल गंगा समान बन जाती है। वहीं बौद्ध साहित्य में इसे सप्पणी कहा गया है। इस बाबत अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ धीरेन्द्र उपाध्याय बताते हैं कि पुरुषोत्तम मास मेले में पौराणिक सरस्वती नदी कुंड के शीतल जल मे डूबकी लगाकर, श्रद्धालुओं को तृप्त देखा जाता है। राजगीर के गाथाओं मे वेद पुराणों मे सरस्वती नदी की महिमा का बखान है। प्रथम स्नान के महत्व वाले परम पवित्र सरस्वती नदी मे मलमास के दौरान तीर्थयात्री आस्था के साथ इसके जलधारा मे डूबकी लगाते हैं। मेले के दौरान शाही स्नान मे साधु संतों द्वारा भी प्रथम स्नान सरस्वती नदी में करने के बाद ही अन्य कुंडों की ओर रुख करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पुरुषोत्तम मास मेले मे गंगा समान परिवर्तित हो जाने वाली, सरस्वती नदी मे स्नान करने से पापों का क्षय हो जाता है। किंवदंतियों के अनुसार पाताल गंगा से उदभव यह नदी मां गंगे की जलधारा समान है। पुरुषोत्तम मेला आयोजन के पूर्व कुंड तीर्थ पुरोहित पंडा समिति राजगीर के अथक प्रयास से जिला प्रशासन द्वारा इस नदी की साफ सफाई तथा सौंदर्यीकरण कर इसके पवित्रता व गरिमा मे चार चांद लगाया जा रहा है। इस नदी के जल को निर्मल करने का प्रयास किया जा रहा है। वायुपुराण व स्कन्दपुराण मे सरस्वती नदी की महिमा का वर्णन उल्लेखनीय है। कहा जाता है कि जब मलमास अपनी पीड़ा जाहिर करने बैकुंठ धाम मे श्री हरि नारायण के समक्ष पहुंचे। तो श्री हरिनारायण ने मलमास को पुरुषोत्तम मास की संज्ञा दी थी। मलमास को पुरुषोत्तम में शुद्ध करने के तहत जिस अनुष्ठान के क्रम मे राजगीर में जलस्रोतों का अभाव था। अनुष्ठान में पहुंचे ॠषि महर्षियों ने स्नान करने के लिए पवित्र जलधारा की इच्छा जाहिर की। ब्रह्म के आशीर्वाद से राजगीर तीर्थ क्षेत्र में शीतल व गर्म जलधाराएं फुट पड़ी। उसी क्रम में सरस्वती नदी शीतल जल का भी उदभव माना जाता है। जिसे भगवान श्री हरिनारायण के आशीर्वाद का भी प्रतीक समझा जाता है। जबकि भौगोलिक दृष्टि से इसका अपना भूमिगत जलस्रोत भी है। राजगीर के उदयगिरी पर्वत के दक्षिण भाग सह पूरब व उत्तर दिशा की ओर बहती तथा पंचाने नदी से निकली हुई सरस्वती नदी राजगीर के जंगलों से गुजरते हुए दो पहाड़ों के बीच से समतल भूमि मे आयी है।उधर बौद्ध साहित्य में सरस्वती नदी का नाम सप्पणी नदी हुआ करता था। भगवान बुद्ध सरस्वती नदी के किनारे कुछ परिव्राजकों यानि भिक्षाटन कर जीवन निर्वाह करने वाले व्रतधारी संन्यासी से भेंट किये थे। और इसी नदी का जल ग्रहण कर आगे बढ़े थे। 

सरस्वती नदी के महिमा को ध्यान मे रखते हुए इस नदी के घाट पर महामंगल आरती का आयोजन करने की परंपरा की शुरुआत पंडा समिति के संयोजन से 2012 के मलमास मेले के दौरान तत्कालीन जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने करवाया था। इसी परंपरा को पुनः कायम रखते हुए 2015 के मेले मे तत्कालीन जिलाधिकारी बी कार्तिकेय ने भी इसका आयोजन कराया था। इस क्रम मे इस नदी की धार्मिक महत्ता को देखते हुए 2018 के मलमास मेले मे बिहार पर्यटन विभाग तथा पंडा समिति के साझा तत्वावधान में महामंगल आरती का आयोजन संपूर्ण पुरुषोत्तम मेले मे कराये जाने की व्यवस्था की गई । पुरुषोत्तम मेले में सरस्वती नदी में आस्था की डूबकी लगाकर जाने अनजाने में किये गये पापों से मुक्ति की कामना लिए, तीर्थयात्रियों का जत्था इसी में प्रथम स्नान कर धार्मिक लाभ उठाते हैं। इसके बाद हीं श्रद्धालु ब्रह्मा कुंड में डूबकी लगाते हैं।

Realated News!

Leave a Comment

Sidebar Banner
post-author
post-author
post-author